Wednesday 28 October 2020

अभियान अंक - 12, 13

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Saturday 17 October 2020

अभियान अंक - 11

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Monday 12 October 2020

अभियान अंक - 8,9,10

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Saturday 10 October 2020

अभियान अंक -7

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Friday 9 October 2020

अभियान अंक -6

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Thursday 8 October 2020

अभियान अंक -5

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महिलाओं पर बढ़ते अपराध

उत्तर प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं दलित महिलायें ?




(रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2019 में दलितों के विरुद्ध उत्पीड़न के कुल 45,935 अपराध घटित हुए जिन में से उत्तर प्रदेश में 11,829 अपराध घटित हुए जो कि राष्ट्रीय स्तर पर कुल घटित अपराध का 25.8 प्रतिशत है जबीकि राष्ट्रीय स्तर पर दलितों की आबादी 20.7% प्रतिशत है तथा यह 5% अधिक है......)


ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता और आईपीएस - एस. आर दारापुरी (से.नि.) का विश्लेषण


हाल में राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो द्वारा क्राईम इन इंडिया- 2019 रिपोर्ट जारी की गयी है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2019 में पूरे देश में दलित उत्पीड़न के अपराध के जो आंकड़े छपे हैं उनसे यह उभर कर आया है कि इसमें उत्तर प्रदेश काफी आगे है। उत्तर प्रदेश की दलित आबादी देश में सब से अधिक आबादी है जो कि देश की आबादी का 20.7% प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2019 में दलितों के विरुद्ध उत्पीड़न के कुल 45,935 अपराध घटित हुए जिन में से उत्तर प्रदेश में 11,829 अपराध घटित हुए जो कि राष्ट्रीय स्तर पर कुल घटित अपराध का 25.8 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर दलितों की आबादी 20.7% प्रतिशत है तथा यह 5% अधिक है। इस अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति एक लाख दलित आबादी पर घटित अपराध की दर 22.8 रही जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 28.6 रही जोकि राष्ट्रीय दर से 6% अधिक है। इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर दलित उत्पीडन के मामलों में उत्तर प्रदेश का 7वां स्थान है। यह भी उल्लेखनीय है कि 2016 की राष्ट्रीय दर 20.3 के मुकाबले में यह काफी अधिक है। इन आंकड़ों से एक बात उभर कर आई है कि उत्तर प्रदेश में दलित एवं दलित महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि दलित महिलाओं पर अत्याचार के मामलों की संख्या और दर राष्ट्रीय दर से काफी ऊँची है। अब अगर दलितों पर राष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में घटित अपराधों के श्रेणीवार आंकड़ों का विश्लेषण किया जाये तो स्थिति निम्न प्रकार है - 

एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम(आईपीसी सहित) के अपराध :-

वर्ष 2019 में पूरे देश में इस अधिनियम के अंतर्गत 41,793 अपराध घटित हुए जबकि इसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 9,451 अपराध घटित हुए। इन अपराधों की राष्ट्रीय दर (प्रति 1 लाख आबादी पर) 20.8 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 22.9 थी जोकि राष्ट्रीय स्तर पर घटित कुल अपराध का लगभग 22.6% है। इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर इन अपराधों के मामलों में उत्तर प्रदेश का 6वां स्थान है जोकि काफी ऊँचा है। 

हत्या :-

वर्ष 2019 में पूरे देश में दलितों की हत्यायों की संख्या 923 थी जिनमें अकेले उत्तर प्रदेश में 219 हत्याएं हुयीं। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.4 के विपरीत उत्तर प्रदेश की दर 0.5 रही जो कि राष्ट्रीय स्तर पर घटित कुल अपराध का लगभग 24% है। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का चौथा स्थान है। इससे स्पष्ट है कि दलित हत्यायों के मामले में उत्तर प्रदेश काफी आगे है।

महिलाओं पर लज्जाभंग के इरादे से हमला :-

इस अपराध के अंतर्गत पूरे देश में 3375 मामले घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 776 मामले रहे जोकि राष्ट्रीय स्तर पर घटित अपराध का 23%है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 1.7 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 1.9 रही जो राष्ट्रीय दर से काफी ऊँची है। 

महिलाओं को परेशान करने के इरादे से हमला (धारा 354 ए) :-

इसके अंतर्गत पूरे देश में 976 अपराध घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 226 मामले रहे जोकि कुल अपराध का 23% है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.3 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 0.5 रही जो राष्ट्रीय दर से काफी ऊँची है। 

महिलाओं को वस्त्रहीन करने के इरादे से बलप्रयोग (धारा 354 बी) :-

इस शीर्षक अंतर्गत पूरे देश में 266 अपराध घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 104 मामले रहे जोकि कुल अपराध का 39% रहा। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.1 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 0.3 रही जो राष्ट्रीय दर से काफी ऊँची है। 

महिलाओं को अपहरण धारा 363, 369 IPC) :-

इस शीर्षक अंतर्गत पूरे देश में 916 अपराध घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 449 मामले रहे जोकि देश में कुल अपराध का 49% है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.5 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 1.1 रही जो राष्ट्रीय दर से बहुत ऊँची है। 

महिलाओं को अपहरण (धारा 363) :-

इसके शीर्षक अंतर्गत पूरे देश में 392 अपराध घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 196 मामले रहे जोकि देश में कुल अपराध का 49.5% है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.2 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 0.5 रही जो राष्ट्रीय दर से बहुत ऊँची है। 

अन्य अपहरण :-

इस शीर्षक अंतर्गत पूरे देश में 313 अपराध घटित हुए जबकि अकेले उत्तर प्रदेश में 176 मामले रहे जोकि देश में कुल अपराध का 56% है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.2 थी जबकि उत्तर प्रदेश की यह दर 0.4 रही जो राष्ट्रीय दर से बहुत ऊँची है। 

महिलाओं का विवाह के लिए अपहरण (366) :-

वर्ष 2019 में पूरे देश में विवाह के लिए अपहरण के कुल 357 मामले घटित हुए जिन में से अकेले उत्तर प्रदेश में 243 अपराध घटित हुए जोकि देश में कुल अपराध का 68% है। इस अपराध की राष्ट्रीय दर 0.2 के विपरीत उत्तर प्रदेश की यह दर 0.6 रही जो कि पूरे देश में सब से ऊँची है। 

बलात्कार (धारा 376) :-

वर्ष 2019 में पूरे देश में दलित महिलाओं के बलात्कार के 3,486 अपराध घटित हुए जिन में से अकेले उत्तर प्रदेश में 537 बलात्कार के मामले दर्ज हुए जोकि राष्ट्रीय स्तर पर घटित कुल अपराध का 15.4% है। यद्यपि इस अपराध की राष्ट्रीय दर 1.7 के विपरीत उत्तर प्रदेश की दर 1.3 रही है परन्तु यह भी सर्वविदित है कि पुलिस में ऊँची जातियों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराना कितना मुश्किल होता है जैसा कि हाल की हाथरस की घटना से स्पष्ट है। अतः बलात्कार के बहुत से मामले या तो लिखे ही नहीं जाते हैं या उनको अन्य हलकी धाराओं में दर्ज किया जाता है।

न्यायालय में सजा की दर :-

राष्ट्रीय स्तर पर न्यायालय में निस्तारित दलित उत्पीडन के मामलों की सजा की दर 32.1% के विपरीत उत्तर प्रदेश की यह दर 66.1% रही और इसका राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान रहा। यद्यपि यह दर गुजरात की 1.8% की दर की अपेक्षा बहुत अच्छी कही जा सकती है परन्तु वर्ष के अंत तक विवेचना हेतु लंबित मामलों (50,776) की दर 95.4% है जोकि राष्ट्रीय दर 93.8% से ऊँची है, इस उपलब्धि को धूमिल कर देती है।


उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में दलितों के विरुद्ध घटित कुल अपराध की दर राष्ट्रीय दर से बहुत अधिक है। इसमें दलितों के विरुद्ध गंभीर अपराध जैसे हत्या, लज्जाभंग/प्रयास, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, अपहरण और विवाह के लिए अपहरण, गंभीर चोट, बलवा और एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत घटित अपराधों की दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक रही। इन आंकड़ों से एक बात उभर कर सामने आई है कि उत्तर प्रदेश में दलित महिलाओं के विरुद्ध अपराध जैसे बलात्कार, लज्जाभंग का प्रयास, अपहरण, यौन उत्पीड़न तथा विवाह के लिए अपहरण आदि की संख्या एवं दर राष्ट्रीय दर से काफी अधिक है। इससे यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में दलित महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। यह देखा गया है कि उत्तर प्रदेश में हमेशा से दलितों पर होने वाले अत्याचार राष्ट्रीय दर से अधिक रहे हैं चाहे सरकार किसी की भी रही हो। इसका एक मुख्य कारण यह है कि उत्तर प्रदेश की सामाजिक राजनीतिक एवं आर्थिक संरचना सामंती रही है जिसमें इन वर्गों पर अत्याचार होना स्वाभाविक है। इस कारण यहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था भी सामंती ही रही है जो हमेशा सत्ताधारियों के हुकम की गुलाम रहती है। आज़ादी के बाद भी उत्तर प्रदेश की सामाजिक, राजनीतिक तथा अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण नहीं हो सका है। इसके विपरीत आज़ादी के बाद विकास की प्रक्रिया के अंतर्गत पूँजी का जो निवेश हुआ है उसने नये माफिया को जन्म दिया है जिसने सामंती ताकतों से गठजोड़ करके राजनीतिक सत्ता में अपना दखल बढ़ा लिया है। यह सर्वविदित है कि सामंती माफिया पूँजी के गठजोड़ की उपस्थिति सभी राजनीतिक दलों में रहती है और वे ज़रुरत के मुताबिक दल भी बदलते रहते हैं। इसी लिए सरकार बदलने के बाद भी उनकी राजनीतिक पकड़/पहुँच कमज़ोर नहीं होती। यही तत्व दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों एवं महिलाओं पर अत्याचार के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। उत्तर प्रदेश की यह भी त्रासदी है कि यहां पर सामंती-माफिया-पूंजी गठजोड़ के विरुद्ध बिहार की तरह (नक्सली तथा किसान आन्दोलन) ज़मीनी स्तर पर कोई भी प्रतिरोधी आन्दोलन नहीं हुआ है जिस कारण इन तत्वों को कोई चुनौती नहीं मिल सकी है। उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति भी इन्हीं सामन्ती/पूँजी माफियायों का सहारा लेकर सत्ता का भोग करती रही है जिस कारण इन तत्वों की सत्ता पर कभी भी पकड कमज़ोर नहीं हुयी है। अतःउत्तर प्रदेश की राजनीति पर सामन्ती-माफिया-पूँजी की निरंतर बनी रहने वाली पकड जो भाजपा सरकार के अधिनायकवादी चरित्र के कारण और भी मज़बूत हो गयी है, दलितों पर राष्ट्रीय स्तर पर अधिक अत्याचार के लिए ज़िम्मेदार है। अतः उत्तर प्रदेश में दलितों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए राजनीति पर सामन्ती-माफिया-पूंजी गठजोड़ को तोड़ने के लिए जनवादी आंदोलनों को तेज़ करना होगा। यह काम केवल वाम-जनवादी लोकतान्त्रिक ताकतें ही कर सकती हैं न कि सत्ता की राजनीति करने वाली कांग्रेस, समाजवादी, भीम आर्मी और बहुजन समाज पार्टी एवं उनके नेता।


(साभार : जनज्वार. कॉम https://janjwar.com/vimarsh/how-safe-are-dalit-women-in-uttar-pradesh-637380)

Wednesday 7 October 2020

अभियान अंक-4

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Monday 5 October 2020

अभियान अंक - 108

 अभियान अंक-108- हम सभी पाठकों के साथ सांझा कर रहे हैं। सभी पाठकों से उम्मीद है कि वे इस अंक को पढ़


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Saturday 3 October 2020

अभियान अंक - 3

 

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अभियान अंक - 2

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Thursday 1 October 2020

अभियान अंक - 1

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