Wednesday 11 November 2020

शर्मा जी, जाति को नहीं मानते

 *शर्मा जी,जाति को नहीं मानते*


शर्मा जी ने 90 के दशक की शुरुआत में पुलिस विभाग में नौकरी ज्वाइन की थी। तब से लेकर अब तक शर्मा जी प्रमोट होकर सब इंस्पेक्टर बन चुके हैं। शर्मा जी पिछले कुछ समय से सेक्टर में रहने लगे हैं। शर्मा जी ने जो अपने बच्चों को सिखाया उस में सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपने बच्चों को बताया कि जाति के आधार पर कोई भी छोटा बड़ा नहीं होता,सब बराबर होते हैं। किसी के साथ भी जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करना है, हो सके तो किसी की जाति पूछनी भी नहीं है। आदर्श भारतीय बच्चों की तरह ऐसा ही शर्मा जी के बच्चे करते आए हैं उन्होंने कभी भी अपने दोस्तों की, ना अपने रिश्तेदारों की, ना अपने आस पड़ोस वालों की जाति पता करने की कोशिश की। शर्मा जी और शर्मा जी का परिवार अपनी जाति किसी को नहीं बताते। वह बात अलग है कि इनके नाम के पीछे शर्मा लगा हुआ है। शर्मा जी की बेटी बड़ी हो चुकी है। उसने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से मास्टर्स की है। बहुत होशियार है और शर्मा जी के परिवार में उनकी शादी को लेकर बातचीत चलती रहती है। शर्मा जी अपनी बेटी के लिए एक अच्छा सा लड़का ढूंढने में व्यस्त हो चुके हैं। एक बात जो शर्मा जी के सभी पड़ोसियों को परेशान किए हुए है वह यह है कि शर्मा जी अपनी जाति का लड़का नहीं ढूंढ रहे हैं शर्मा जी सिर्फ एक लड़का ढूंढ रहे हैं। कोई मायने नहीं रखता शर्मा जी के लिए कि लड़के की जाति क्या है? वह सिर्फ इतना चाहते हैं कि उनकी बेटी को एक अच्छा जीवन साथी हमसफ़र मिले जो उनकी बेटी को खूब प्यार दे, हर मुसीबत में उनकी बेटी के साथ खड़ा हो और पति न बनकर एक अच्छा दोस्त, एक अच्छा जीवन साथी उनकी बेटी का बन पाए। इसीलिए उन्होंने बहुत सारे रिश्ते देखे व बहुत सारे लड़कों के घरों पर गए shaadi.com जैसी वेबसाइट से पता करके भी लड़कों से मिलने गए अपनी बेटी को भी मिलवाने ले गए। 
उन्होंने अपनी बेटी से भी पूछा कि अगर उसको कोई लड़का पसंद हो तो वो उससे भी मिलने को तैयार है लेकिन लड़की की जिंदगी में ऐसा कोई लड़का था ही नहीं। ऐसे पिता भारत में दुर्लभ ही पाए जाते हैं जो अपनी बेटी का रिश्ता जाति से ऊपर उठकर करें और अपनी बेटी से ही पूछे हैं कि उसे कोई लड़का पसंद हो तो वह बता सकती है। 
अंत में एक लड़का शर्मा जी को पसंद आ गया। दोनों परिवारों की आपस में बातचीत हुई और दोनों परिवारों के बीच रिश्ते को लेकर भी बात बन गई। 
लेकिन एक गड़बड़ हो गई लड़के के पिता की इस बात में जिज्ञासा बढ़ गई कि शर्मा जी की असली जाति क्या है? लड़के के पिता ने खूब कोशिश की शर्मा जी से उनकी जाति पता करने की। शर्मा जी के बेटे से पूछा, बेटी से पूछा, उनकी पत्नी से पूछा लेकिन किसी ने भी जाती पर बात करने से मना कर दिया और कहा कि हम जाति को नहीं मानते हम सिर्फ इंसान हैं। जाति तो इंसान की बनाई हुई है इंसानियत सबसे ऊपर है। लेकिन भारद्वाज जी तो कसम खा चुके थे कि शर्मा जी की असली जाति पता करके रहेंगे बेशक शर्मा जी ने अपना गांव तक भारद्वाज जी को नहीं बताया था। भारद्वाज जी ने पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में पढ़ रहे अपने भांजे से संपर्क किया। लड़की का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, किस सत्र में मास्टर्स की थी वह सेशन, परसेंटेज सब बताया और कहा कि इस लड़की की कैटेगरी पता करो। लड़का विश्वविद्यालय में एक देशभक्त छात्र संगठन में सक्रिय था उसने अपने नेता जी से बात की और लड़की की कैटेगरी खोज निकाली। जब भारद्वाज जी को पता चला कि लड़की की कैटेगरी ओबीसी यानी कि अन्य पिछड़ा वर्ग है तो आग बबूला हो गए तुरंत शर्मा जी के पास फोन लगाया और गुस्से में शर्मा जी पर टूट पड़े,"तुम्हें हम अपने बराबर में ना बैठायें और तुम अपनी बेटी का रिश्ता मेरे बेटे के साथ करने चले आए। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा धर्म भ्रष्ट करने की? क्या तुम्हें नहीं पता की शादी के लिए गुणों के साथ-साथ जाति का मिलना भी बहुत जरूरी है?" भारद्वाज जी ने गालियां भी दी और भी न जाने क्या-क्या कहा और अंत में फोन काट दिया। इसके बाद भारद्वाज जी ने शर्मा जी के एक पड़ोसी को इसके बारे में बताया। बस फिर क्या था पूरे सेक्टर को शर्मा जी की जाती पता चल गई। लेकिन शर्मा जी अभी भी अपनी बेटी के लिए लड़का ढूंढ रहे हैं और बिना किसी जाति को ध्यान में रखे ढूंढ रहे हैं। अंत में बस एक छोटा सा सवाल बचा है कि शर्मा जी जाति को नहीं मानते लेकिन फिर भी उन्होंने नाम के पीछे शर्मा लगाया जबकि उनका वास्तविक गोत्र या सरनेम कुछ और है, आखिर ऐसा क्यों?

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