Wednesday 30 December 2020

किसान आंदोलन-3

 सही दुश्मन की पहचान कर ली है  किसान आंदोलन ने

(संजय कुमार)


(पंजाब में इस आंदोलन ने एक अलग ही शक्ल अख्तियार की है। पंजाब में जगह-जगह जिओ के टावरों को तोड़ा जा रहा है, उनकी लाइनें उखाड़ी जा रही हैं। अब तक पंजाब में 1500 से अधिक जिओ के टावर ध्वस्त किए जा चुके हैं। लाखों लोग जिओ से अन्य कम्पनियों में अपना सिम पोर्ट करा चुके हैं। अपने नुक्सान से घबराकर जिओ को ट्राई में शिकायत करनी पड़ी कि एयरटेल व वोडाफोन उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं। अम्बानी अडानी व रामदेव की कम्पनियों के खिलाफ लोगों में बेहद गुस्सा है।)




देश भर में किसानों का आक्रोश अपने शिखर पर है। किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर आकर घेरा डाला हुआ है जिसमें सभी राज्यों के किसान शामिल हो रहे हैं। इसकी शुरुआत पंजाब-हरियाणा के किसानों ने की। उसी पंजाब-हरियाणा की धरती के बाशिंदों ने जो हर विदेशी हमलावरों को दिल्ली पर हमला करने से पहले ललकारते रहे हैं। पंजाब में तो यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक जनांदोलन बन चुका है और हर धर्म, हर जाति, हर तबके के लोग इसका हिस्सा बन चुके हैं। पंजाब के हर घर से कोई न कोई दिल्ली मोर्चे पर डटा है और रोजाना सैंकड़ों, हजारों ट्रैक्टर-ट्रालियां दिल्ली कूच कर रही हैं। 
पंजाब में इस आंदोलन ने एक अलग ही शक्ल अख्तियार की है। पंजाब में जगह-जगह जिओ के टावरों को तोड़ा जा रहा है, उनकी लाइनें उखाड़ी जा रही हैं। अब तक पंजाब में 1500 से अधिक जिओ के टावर ध्वस्त किए जा चुके हैं। लाखों लोग जिओ से अन्य कम्पनियों में अपना सिम पोर्ट करा चुके हैं। अपने नुक्सान से घबराकर जिओ को ट्राई में शिकायत करनी पड़ी कि एयरटेल व वोडाफोन उसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं। अम्बानी अडानी व रामदेव की कम्पनियों के खिलाफ लोगों में बेहद गुस्सा है।
दरअसल किसानों को यह समझ आ गया है कि सरकार अम्बानी-अडानी जैसे चंद बड़े पूंजीपतियों के हितों के लिए यह कृषि कानून लेकर आयी है और उन्हीं के दबाव में इतनी हठधर्मिता दिखा रही है। सरकार जब एक देश, एक मार्किट की बात करती है तो यह सब पूंजीपतियों को ही फायदा पहुंचाता है क्योंकि अलग कानून और अलग बाजार व्यवस्था व टैक्स सिस्टम बड़े पूंजीपतियों के लिए सिरदर्दी का काम है और छोटे स्थानीय व्यापारी के फायदे में हैं। अगर बड़े पूंजीपति को देश के पूरे बाज़ार पर कब्जा करना है तो उसे पूरे देश में एक जैसा ढांचा चाहिए। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के शब्दों में मनमोहन सरकार भी ऐसा करना चाहती थी लेकिन वह यह दबाव नहीं झेल पाई। लेकिन मोदी सरकार आर्थिक सुधारीकरण की दिशा में हर जनदबाव को दरकिनार करते हुए तेजी से आगे बढ़ रही है यही कारण है कि हर सार्वजनिक विभाग का तेजी से निजीकरण किया जा रहा है। रेलवे को भी निजी हाथों में दे दिया गया तो एयरपोर्ट भी अम्बानी-अडानी को दे दिए गए। अब देश के सबसे बड़े कृषि सेक्टर पर बड़े पूंजीपतियों की गिद्ध दृष्टि जमी हुई है और पूंजीपतियों को इसमें अपार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। यही कारण है कि अडानी ने बड़ी रेल लाइनों के किनारे अरबों रुपये का निवेश कर बड़े भंडारगृहों का निर्माण किया है। सरकारी सहयोग और सरकार द्वारा कौड़ियों के भाव सरकारी उपक्रम दिए जाने से जहाँ लॉकडाउन के बावजूद इनकी सम्पत्ति में भारी उछाल हुआ वहीं कुछ दिनों के बहिष्कार से ही अम्बानी बड़े दस धनकुबेरों की लिस्ट से बाहर हो गया।
लेकिन उनकी इस योजना को किसानों ने पलीता लगा दिया है। पंजाब में दशहरे पर नरेंद्र मोदी और अम्बानी अडानी के पुतले फूंकने से शुरू हुआ यह आंदोलन रिलायंस के पेट्रोल पम्पों और उनके स्टोर के विरोध से अब उनके सिम पोर्ट करने से उनके टॉवर उखाड़ने तक पहुंच गया है तो समझना होगा कि अब यह आंदोलन कार्पोरेटपरस्त इस सरकार और उनके पूंजीपति आकाओं के तंबू उखाड़कर ही दम लेगा।

No comments:

Post a Comment