Tuesday, 8 September 2020

कविता

 कितना दुखद होता है वह लम्हा

 


कितना दुखद होता है वह लम्हा 

जब औरत की होती है खरीद-फरोख्त 

होती है जबरन शादी 
होता है उसके साथ दुष्कर्म 
और पुलिस लेती रहती है सपना
कि गली-गली और कूचे-कूचे सब सुरक्षित हैं। 


कितना दुखद होता है वह लम्हा 
जब कोई बेरोजगार रह जाता है नौकरी लगने से 
होती रहती है प्रतिभाओं के साथ ज्यादती 
वह रोता है अपनी डिग्रिओं को देखकर 
और अफसर खेलते हैं नोटों में 
प्रचार है कि, साफ-सुथरी भर्ती हुई है। 


कितना दुखद होता है वह लम्हा 
जब कोई सच्चा इंसान, हार जाता है मुकदमा 
बिक जाते हैं गवाह और जज
वह उम्र-भर सड़ता है सलाखों के पीछे 
कि न्याय भटक जाता है पथ से। 


कितना दुखद होता है वह लम्हा 
जब अन्न के भंडार भरे होते हैं 
और भूख से मर जाए कोई बच्चा
होता रहता है आयात-निर्यात
सड जाता है लाखों टन अनाज हर वर्ष 
कि अनुमान से पैदावार हुई है। 


दयाल चंद जास्ट गाँव व डा जोडमाजरा तहसील इन्द्री करनाल 

फोन नंबर 9466220146

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