Wednesday, 15 July 2020

कविता



राजद्रोही

कागज पर लिखा
सम्राट,
सेना,
फिर लिखा-
गुलाम,
दासता,
जय-जयकार
सम्राट प्रसन्न हुए.......।


अब लिखा मैंने
तानाशाह,
निरकुंश,
विद्रोह
और कारागार

इस बार
राजा के आदेश पर
खंजर से मेरे सीने पर लिखा गया
राजद्रोही..........।


- नित्यानंद गयन

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