" पूंजीवाद अपनी कब्र खुद खोदता है "
---कार्ल मार्क्स
(प्रस्तुत रागनी मशहूर हरियाणवी रागनी लेखक मास्टर 'रामधारी खटकड़' ने लिखी है ।)
(कब्र खोद ली)
- रामधारी खटकड़
टेक -अपणे हाथां कब्र खोद ली, जालिम पूंजीवाद तनै
ज्यादा लालच कर देगा, इस दुनियां म्हं बरबाद तनै..
अमीरी और गरीबी की, तनै चौड़ी कर दी खाई रै
किते-किते गोदाम सड़ैं, किते रोटी तक ना थ्याई रै
मुनाफे खातर गळा काट लें, किसी आजादी आई रै
जल-जंगल-जमीन खोस ली, क्यूकर होवै समाई रै
गरीबों की तो आज तक, कदे सुणी नहीं फरियाद तनै
ज्यादा लालच कर देगा, इस दुनियां म्हं बरबाद तनै...
कल्याणकारी राज ना छोड्यया शर्म कति तनै आई ना
शहीदां का जो सपना था, वो देता किते दिखाई ना
गुंडे राज करण लगे इब, होती किते सुणाई ना
लोकतंत्र म्हं निर्धन की, क्यू्ं होती कति भलाई ना
तेरे सिर पै स्यात चढकै करदे , जिन्दगी तै आजाद तनै
ज्यादा लालच कर देगा , इस दुनियां म्हं बरबाद तनै...
अरबों के तनै करे घोटाले, बट्टा देश कै लाया रै
भारी कर्जा लिया बैंकां तै, उल्टा क्यू्ं ना आया रै
लहू चूस लिया मेहनतकश का, क्रोध बदन म्हं छाया रै
जनता का अधिकार छीन कै, बेशर्मी तै खाया रै
भ्रष्टाचार की फसल उगाकै, लूट की गेरी खाद तनै
ज्यादा लालच कर देगा, इस दुनियां म्हं बरबाद तनै...
महलां पै तेरै होवै चढाई, जान के लाले पड़ ज्यांगे
किले तोड़कै सिस्टम के, यें भूखे भीतर बड़ ज्यांगे
तेरे पुलिस-फौज सब बागी होकै तेरी गेल्यां लड़ ज्यांगे
जुणसी खाई खोद रहा, तेरे हाड़ उसे म्हं सड़ ज्यांगे
रामधारी की कलम करावै, क्रांति का दिन याद तनै
ज्यादा लालच कर देगा, इस दुनियां म्हं बरबाद तनै...
गजब!पूंजीवाद के सीने में क्रांति की नासूर कील का काम कर रही है, यह कविता।वक्त व परिस्थितियों को ऐसे ही जुझारू व क्रांंतिकारीयों की जरूरत है, अवसरवादी व बिकाऊ दलालों की नहीं।महान रागिनी लेखक व गायक को मेरा सलाम।जय क्रांति।
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